कहानीपुरम कहानीपुरम
कहानीपुरम कहानियाँ हमारे बारे में संपर्क
कहानियाँ हमारे बारे में संपर्क

उपन्यास

भाग-36 - गोदान - मुंशी प्रेमचंद | bhag-36 - godan - munshi premchand

दो दिन तक गांव में खूब धूम-धाम रही । बाजे बजे, गाना-बजाना हुआ और रूपा रो-धोकर बिदा हो गयी; मगर होरी को किसी ने घर से निकलते न देखा । ऐसा छिपा बैठा था जैसे मुँह में कालिख लगी हो । मालती के आ जाने से

मुंशी प्रेमचंद मुंशी प्रेमचंद

मुंशी प्रेमचंद

17-01-2024

उपन्यास

भाग-35 - गोदान - मुंशी प्रेमचंद | bhag-35 - godan - munshi premchand

होरी की दशा दिन-दिन गिरती ही जा रही थी । जीवन के संघर्ष में उसकी सदैव हार हुई; पर उसने कभी हिम्मत नहीं हारी । प्रत्येक हार जैसे उसे भाग्य से लड़ने की शक्ति दे देती थी; मगर अब वह उस अन्तिम दशा

मुंशी प्रेमचंद मुंशी प्रेमचंद

मुंशी प्रेमचंद

17-01-2024

उपन्यास

भाग-34 - गोदान - मुंशी प्रेमचंद | bhag-34 - godan - munshi premchand

सिलिया का बालक अब दो साल का हो रहा था और सारे गाँव में दौड़ लगाता था । अपने साथ एक विचित्र भाषा लाया था, और उसी में बोलता था, चाहे कोई समझे या न समझे । उसकी भाषा में त, ल और घ की कसरत थी और स

मुंशी प्रेमचंद मुंशी प्रेमचंद

मुंशी प्रेमचंद

17-01-2024

उपन्यास

भाग-33 - गोदान - मुंशी प्रेमचंद | bhag-33 - godan - munshi premchand

डॉक्टर मेहता परीक्षक से परीक्षार्थी हो गए हैं । मालती से दूर-दूर रहकर उन्हें ऐसी शंका होने लगी कि उसे खो न बैठें । कई महीनों से मालती उनके पास न आयी थी और जब वह विफल होकर उसके घर गये, तो मुलाकात

मुंशी प्रेमचंद मुंशी प्रेमचंद

मुंशी प्रेमचंद

17-01-2024

उपन्यास

भाग-32 - गोदान - मुंशी प्रेमचंद | bhag-32 - godan - munshi premchand

मिर्ज़ा खुर्शेद ने अस्पताल से निकलकर एक नया काम शुरू कर दिया था । निश्चिन्त बैठना उनके स्वभाव में न था । यह काम क्या था? नगर की वेश्याओं की एक नाटक-मण्डली बनाना । अपने अच्छे दिनों में उन्होंने खूब ऐयाशी

मुंशी प्रेमचंद मुंशी प्रेमचंद

मुंशी प्रेमचंद

17-01-2024

उपन्यास

भाग-31 - गोदान - मुंशी प्रेमचंद | bhag-31 - godan - munshi premchand

रायसाहब का सितारा बुलन्द था । उनके तीनों मंसूबे पूरे हो गए थे । कन्या की शादी धूम-धाम से हो गई थी, मुकद्दमा जीत गए थे और निर्वाचन में सफल ही न हुए थे, होम मेम्बर भी हो गए थे । चारों ओर से बधाइयाँ

मुंशी प्रेमचंद मुंशी प्रेमचंद

मुंशी प्रेमचंद

17-01-2024

उपन्यास

भाग-30 - गोदान - मुंशी प्रेमचंद | bhag-30 - godan - munshi premchand

मिल करीब-करीब पूरी जल चुकी है, लेकिन उसी मिल को फिर से खड़ा करना होगा । मिस्टर खन्ना ने अपनी सारी कोशिशें इसके लिए लगा दी हैं । मज़दूरों की हड़ताल जारी है, मगर अब उससे मिल-मालिकों की कोई विशेष हानि

मुंशी प्रेमचंद मुंशी प्रेमचंद

मुंशी प्रेमचंद

16-01-2024

उपन्यास

भाग-29 - गोदान - मुंशी प्रेमचंद | bhag-29 - godan - munshi premchand

नोहरी उन औरतों में न थी, जो नेकी करके दरिया में डाल देती है । उसने नेकी की है, तो उसका खूब ढिंढारा पीटेगी और उससे जितना यश मिल सकता है, उससे कुछ ज़्यादा ही पाने के लिए हाथ-पाँव मारेगी । ऐसे आदमी

मुंशी प्रेमचंद मुंशी प्रेमचंद

मुंशी प्रेमचंद

16-01-2024

उपन्यास

भाग-28 - गोदान - मुंशी प्रेमचंद | bhag-28 - godan - munshi premchand

मिस्टर खन्ना को मजूरों की यह हड़ताल बिल्कुल बेजा मालूम होती है । उन्होंने हमेशा जनता के साथ मिले रहने की कोशिश की थी । वह अपने को जनता का ही आदमी समझते थे । पिछले कोसी आन्दोलन में उन्होंने बड़ा

मुंशी प्रेमचंद मुंशी प्रेमचंद

मुंशी प्रेमचंद

15-01-2024

उपन्यास

भाग-27 - गोदान - मुंशी प्रेमचंद | bhag-27 - godan - munshi premchand

गोबर को शहर आने पर मालूम हुआ कि जिस अड्डे पर वह अपना खोंचा लेकर बैठता था, वहीं एक दूसरा खोंचे वाला बैठने लगा है और गाहक अब गोबर को भूल गये हैं । वह घर भी उसे पिंजरे-सा लगता था । झुनिया उसमें

मुंशी प्रेमचंद मुंशी प्रेमचंद

मुंशी प्रेमचंद

15-01-2024

उपन्यास

भाग-26 - गोदान - मुंशी प्रेमचंद | bhag-26 - godan - munshi premchand

लाला पटेश्वरी पटवारी-समुदाय के सद्गुणों के साक्षात् अवतार थे । वह यह न देख सकते थे कि कोई असामी अपने दूसरे भाई की इंच भर भी जमीन दबा ले । न वह यही देख सकते थे कि असामी किसी महाजन के रुपये

मुंशी प्रेमचंद मुंशी प्रेमचंद

मुंशी प्रेमचंद

14-01-2024

उपन्यास

भाग-25 - गोदान - मुंशी प्रेमचंद | bhag-25 - godan - munshi premchand

भोला इधर दूसरी सगाई लाये थे । औरत के बगैर उनका जीवन नीरस था । जब तक झुनिया थी, उन्हें हुक्का – पानी दे देती थी, समय से खाने को बुला ले जाती थी । अब बेचारे अनाथ-से हो गये थे । बहुओं

मुंशी प्रेमचंद मुंशी प्रेमचंद

मुंशी प्रेमचंद

14-01-2024

उपन्यास

भाग-24 - गोदान - मुंशी प्रेमचंद | bhag-24 - godan - munshi premchand

सोना सत्रहवें साल में थी और इस साल उसका विवाह करना आवश्यक था । होरी तो दो साल से इसी फिक्र में था पर हाथ खाली होने से कोई काबू न चलता था । मगर इस साल जैसे भी हो, उसका विवाह कर देना ही चाहिए

मुंशी प्रेमचंद मुंशी प्रेमचंद

मुंशी प्रेमचंद

13-01-2024

उपन्यास

भाग-23 - गोदान - मुंशी प्रेमचंद | bhag-23 - godan - munshi premchand

गोबर और झुनिया के जाने के बाद घर सुनसान रहने लगा । धनिया को बार-बार मुन्नु की याद आती रहती है । बच्चे की माँ तो झुनिया थी; पर उसका पालन धनिया ही करती थी । वही उसे उबटन मलती, काजल लगाती,

मुंशी प्रेमचंद मुंशी प्रेमचंद

मुंशी प्रेमचंद

13-01-2024

कहानी

सुहाग की साड़ी - मानसरोवर 7 - मुंशी प्रेमचंद | suhag ki saree - maansarovar 7 - munshi premchand

यह कहना भूल है कि दाम्पत्य-सुख के लिए स्त्री-पुरुष के स्वभाव में मेल होना आवश्यक है। श्रीमती गौरा और श्रीमान् कुँवर रतनसिंह में कोई बात न मिलती थी। गौरा उदार थी, रतनसिंह कौड़ी-कौड़ी को दाँतों से

मुंशी प्रेमचंद मुंशी प्रेमचंद

मुंशी प्रेमचंद

04-07-2023

कहानी

प्रारब्ध - मानसरोवर 7 - मुंशी प्रेमचंद | prarabdh - maansarovar 7 - munshi premchand

लाला जीवनदास को मृत्युशय्या पर पड़े 6 मास हो गए हैं। अवस्था दिनोंदिन शोचनीय होती जाती है। चिकित्सा पर उन्हें अब जरा भी विश्वास नहीं रहा। केवल प्रारब्ध का ही भरोसा है। कोई हितैषी वैद्य या डॉक्टर

मुंशी प्रेमचंद मुंशी प्रेमचंद

मुंशी प्रेमचंद

04-07-2023

कहानी

शान्ति-2 - मानसरोवर 7 - मुंशी प्रेमचंद | shanti-2 - maansarovar 7 - munshi premchand

जब मैं ससुराल आई, तो बिलकुल फूहड़ थी। न पहनने-ओढ़ने को सलीका , न बातचीत करने का ढंग। सिर उठाकर किसी से बातचीत न कर सकती थीं। आँखें अपने आप झपक जाती थीं। किसी के सामने जाते शर्म आती, स्त्रियों

मुंशी प्रेमचंद मुंशी प्रेमचंद

मुंशी प्रेमचंद

04-07-2023

कहानी

नाग पूजा - मानसरोवर 7 - मुंशी प्रेमचंद | naag pooja - maansarovar 7 - munshi premchand

प्रातःकाल था। आषाढ़ का पहला दौंगड़ा निकल गया था। कीट-पतंग चारों तरफ रेंगते दिखाई देते थे। तिलोत्तमा ने वाटिका की ओर देखा तो वृक्ष और पौधे ऐसे निखर गये थे जैसे साबुन से मैले कपड़े निखर

मुंशी प्रेमचंद मुंशी प्रेमचंद

मुंशी प्रेमचंद

03-07-2023

कहानी

महातीर्थ - मानसरोवर 7 - मुंशी प्रेमचंद | mahateerth - maansarovar 7 - munshi premchand

मुंशी इंद्रमणि की आमदनी कम थी और खर्च ज्यादा। अपने बच्चे के लिए दाई का खर्च न उठा सकते थे। लेकिन एक तो बच्चे की सेवा-शुश्रूषा की फ़िक्र और दूसरे अपने बराबर वालों से हेठे बन कर रहने का अपमान

मुंशी प्रेमचंद मुंशी प्रेमचंद

मुंशी प्रेमचंद

03-07-2023

कहानी

लोकमत का सम्मान - मानसरोवर 7 - मुंशी प्रेमचंद | lokmat ka samman - maansarovar 7 - munshi premchand

बेचू धोबी को अपने गाँव और घर से उतना ही प्रेम था, जितना प्रत्येक मनुष्य को होता है। उसे रूखी-सूखी और आधे पेट खाकर भी अपना गाँव समग्र संसार से प्यारा था। यदि उसे वृद्धा किसान स्त्रियों की गालियाँ

मुंशी प्रेमचंद मुंशी प्रेमचंद

मुंशी प्रेमचंद

03-07-2023

कहानी

दो भाई - मानसरोवर 7 - मुंशी प्रेमचंद | do bhai - maansarovar 7 - munshi premchand

प्रातःकाल सूर्य की सुहावनी सुनहरी धूप में कलावती दोनों बेटों को जाँघों पर बैठा दूध और रोटी खिलाती। केदार बड़ा था, माधव छोटा। दोनों मुँह में कौर लिये, कई पग उछल-कूद कर फिर जाँघों

मुंशी प्रेमचंद मुंशी प्रेमचंद

मुंशी प्रेमचंद

03-07-2023

कहानी

फ़ातिहा - मानसरोवर 7 - मुंशी प्रेमचंद | fatiha - maansarovar 7 - munshi premchand

सरकारी अनाथालय से निकलकर मैं सीधा फौज में भर्ती किया गया। मेरा शरीर हृष्ट-पुष्ट और बलिष्ठ था। साधारण मनुष्यों की अपेक्षा मेरे हाथ-पैर कहीं लम्बे और स्नायुयुक्त थे। मेरी लम्बाई पूरी छह फुट

मुंशी प्रेमचंद मुंशी प्रेमचंद

मुंशी प्रेमचंद

11-06-2023

कहानी

जिहाद - मानसरोवर 7 - मुंशी प्रेमचंद | jihaad - maansarovar 7 - munshi premchand

बहुत पुरानी बात है। हिंदुओं का एक काफ़िला अपने धर्म की रक्षा के लिए पश्चिमोत्तर के पर्वत-प्रदेश से भागा चला आ रहा था। मुद्दतों से उस प्रांत में हिंदू और मुसलमान साथ-साथ रहते

मुंशी प्रेमचंद मुंशी प्रेमचंद

मुंशी प्रेमचंद

11-06-2023

कहानी

शंखनाद - मानसरोवर 7 - मुंशी प्रेमचंद | shankhnaad - maansarovar 7 - munshi premchand

भानु चौधरी अपने गाँव के मुखिया थे। गाँव में उनका बड़ा मान था। दारोगा जी उन्हें टाट बिना जमीन पर न बैठने देते। मुखिया साहब की ऐसी धाक बँधी हुई थी कि उनकी मरजी बिना गाँव में एक पत्ता भी नहीं

मुंशी प्रेमचंद मुंशी प्रेमचंद

मुंशी प्रेमचंद

10-06-2023

कहानी

पंच परमेश्वर - मानसरोवर 7 - मुंशी प्रेमचंद | panch parmeshwar - maansarovar 7 - munshi premchand

जुम्मन शेख अलगू चौधरी में गाढ़ी मित्रता थी। साझे में खेती होती थी। कुछ लेन-देन में भी साझा था। एक को दूसरे पर अटल विश्वास था। जुम्मन जब हज करने गये थे, तब अपना घर अलगू को सौंप गये थे, और

मुंशी प्रेमचंद मुंशी प्रेमचंद

मुंशी प्रेमचंद

10-06-2023

कहानी

दुर्गा का मंदिर - मानसरोवर 7 - मुंशी प्रेमचंद | durga ka mandir - maansarovar 7 - munshi premchand

बाबू ब्रजनाथ कानून पढ़ने में मग्न थे, और उनके दोनों बच्चे लड़ाई करने में। श्यामा चिल्लाती, कि मुन्नू मेरी गुड़िया नहीं देता। मुन्नू रोता था कि श्यामा ने मेरी मिठाई खा ली। ब्रजनाथ ने क्रुद्ध हो

मुंशी प्रेमचंद मुंशी प्रेमचंद

मुंशी प्रेमचंद

09-06-2023

कहानी

आत्माराम - मानसरोवर 7 - मुंशी प्रेमचंद | aatmaram - maansarovar 7 - munshi premchand

वेदों-ग्राम में महादेव सोनार एक सुविख्यात आदमी था। वह अपने सायबान में प्रात से संध्या तक अँगीठी के सामने बैठा हुआ खटखट किया करता था। यह ध्वनि लगातार सुनने के लोग इतने अभ्यस्त हो गये थे कि

मुंशी प्रेमचंद मुंशी प्रेमचंद

मुंशी प्रेमचंद

09-06-2023

कहानी

बड़े घर की बेटी - मानसरोवर 7 - मुंशी प्रेमचंद | barey ghar ki beti - maansarovar 7 - munshi premchand

बेनीमाधव सिंह गौरीपुर गाँव के जमींदार और नम्बरदार थे। उनके पितामह किसी समय बड़े धन-धान्य संपन्न थे। गाँव का पक्का तालाब और मंदिर जिनकी अब मरम्मत भी मुश्किल थी, उन्हीं के कीर्ति-स्तंभ थे। कहते

मुंशी प्रेमचंद मुंशी प्रेमचंद

मुंशी प्रेमचंद

08-06-2023

कहानी

बैंक का दिवाला - मानसरोवर 7 - मुंशी प्रेमचंद | bank ka diwala - maansarovar 7 - munshi premchand

लखनऊ नेशनल बैंक के दफ्तर में लाला साईंदास आरामकुर्सी पर लेटे हुए शेयरों का भाव देख रहे थे और सोच रहे थे कि इस बार हिस्सेदारों को मुनाफा कहाँ से दिया जायगा। चाय, कोयला या जूट के हिस्से खरीदने

मुंशी प्रेमचंद मुंशी प्रेमचंद

मुंशी प्रेमचंद

08-06-2023

कहानी

मैकू - मानसरोवर 7 - मुंशी प्रेमचंद | maiku - maansarovar 7 - munshi premchand

कादिर और मैकू ताड़ीखाने के सामने पहुँचे, तो वहाँ कांग्रेस के वालंटियर झंडा लिये खड़े नजर आये। दरवाजे के इधर-उधर हजारों दर्शक खड़े थे। शाम का वक्त था। इस वक्त गली में पियक्कड़ों के सिवा और

मुंशी प्रेमचंद मुंशी प्रेमचंद

मुंशी प्रेमचंद

23-05-2023
Privacy Policy
About Us
Contact Us
Disclaimer

© 2024 Kahanipuram, Inc. All rights reserved.